"सन्नाटे को चीरती सनसनी फिर देगी दस्तक यह बताने के लिए कि..........." नाटकीयता से भरे एक क्राइम शो की यह पंक्ति दर्शकों के दिमाग पर वाकई बारम्बार दस्तक दे रही होगी। लेकिन इस शो में ही कुछ ऐसा भी है जो शायद देशभक्तों (खास कर जम्मू कश्मीर के बाशिंदों) को कलेजा चीरने जैसा लगे। लेकिन आश्चर्य है कि शो अपने उस रूप के साथ बदस्तूर जारी है।
अगर आप सनसनी देखते हों तो उसका लोगो सहज ही याद आ जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के नक्शे को बीचों-बीच चीरता हुआ मोटे अक्षरों में लिखा है सनसनी। पहले पहल मुझे भ्रम हुआ कि यह जम्मू-कश्मीर स्पेशल है। लेकिन मंझे हुए एंकर ने जल्द ही इस भ्रम को दूर कर दिया।
आज सभी को मालूम है कि 'सनसनी' अपराध कथाओं पर आधारित कार्यक्रम है। तो क्या अपराध सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित हैं? यह भी सच है कि इस कार्यक्रम में अभी तकरीबन उन सभी जगहों की खबरें होती है जहाँ तक हिन्दी चैनलों की पहुंच है। हाँ, ज्यादातर खबरें दिली-मुम्बई और इनके आस-पास के शहरों की होती है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के नक्शे का क्या औचित्य है?
जब सनसनी की शुरुआत हुई थी, शायद तब जम्मू-कश्मीर में अशांति कुछ ज्यादा थी। हो सकता है कि तब जम्मू-कश्मीर को विशेष रूप से कवर करने पर ध्यान रहा हो। (हालांकि सच्चाई तो इसके प्रोड्यूसर ही बता सकते हैं।) फिर समय के साथ जब सारी चीजें बदल सकती हैं तो एक लोगो क्यों नही बदल सकता?
अगर आप सनसनी देखते हों तो उसका लोगो सहज ही याद आ जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के नक्शे को बीचों-बीच चीरता हुआ मोटे अक्षरों में लिखा है सनसनी। पहले पहल मुझे भ्रम हुआ कि यह जम्मू-कश्मीर स्पेशल है। लेकिन मंझे हुए एंकर ने जल्द ही इस भ्रम को दूर कर दिया।
आज सभी को मालूम है कि 'सनसनी' अपराध कथाओं पर आधारित कार्यक्रम है। तो क्या अपराध सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित हैं? यह भी सच है कि इस कार्यक्रम में अभी तकरीबन उन सभी जगहों की खबरें होती है जहाँ तक हिन्दी चैनलों की पहुंच है। हाँ, ज्यादातर खबरें दिली-मुम्बई और इनके आस-पास के शहरों की होती है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के नक्शे का क्या औचित्य है?
जब सनसनी की शुरुआत हुई थी, शायद तब जम्मू-कश्मीर में अशांति कुछ ज्यादा थी। हो सकता है कि तब जम्मू-कश्मीर को विशेष रूप से कवर करने पर ध्यान रहा हो। (हालांकि सच्चाई तो इसके प्रोड्यूसर ही बता सकते हैं।) फिर समय के साथ जब सारी चीजें बदल सकती हैं तो एक लोगो क्यों नही बदल सकता?