आज सुबह सुबह स्वनामधन्य चैनल स्टार न्यूज पर बड़े जोर शोर एक खबर ब्रेकिंग न्यूज बन कर आयी "संघ का नया शिगूफा"। इसमें संघ प्रमुख के जम्मू में दिए गए बयान को आधार बना कर कहा गया की उन्होंने पंडित नेहरू द्वारा स्वयंसेवकों को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के आमंत्रण की बात कह कर नया शिगूफा छोड़ा है।
खबरों का सवेदनशील काम कराने वाले हमारे मीडियाकर्मी ऐसे सवेदनशील मुद्दों को कितने हलके में लेते हैं, यह घटना इस बात का सबूत है। जो लोग संघ और उसके विचारों की जानकारी रखते हैं, उन्हें बखूबी मालूम है कि संघ वर्षों से यह दावा करता आया है। संघ समर्थक साहित्य और अखबारों में हमेशा से यह उधृत किया जाता रहा है॥ और तो और ख़ुद चैनल ने भी पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कोट करते हुए इस सन्दर्भ में उनका बयान पेश किया। दोनों बयानों में फर्क इतना था की वाजपेयी इस घटना की तारीख 26 जनवरी 1963 बता रहे थे और मोहन भागवत 1964 । लेकिन कथ्य दोनों का एक ही था। इसलिए अगर यह शिगूफा है तो नया नही, बहुत पुराना है
शायद यह नौबत नहीं आती अगर इस स्टोरी को पेश करनेके पहले चैनल ने अपने कर्मियों से थोडा होमवर्क कराया होता। कम से कम विश्व सुन्दरी प्रतियोगिता में भारतीय दावेदार कविता चौधरी के परिजनों और उसकी जिन्दगी की कहानी जुटाने में जो म्हणत हुई, उससे तो कम ही ऊर्जा और संसाधन खर्च कर ज्यादा सुस्पष्ट ख़बर दी जा सकती थी। मगर बलिहारी आपके न्यूज सेंस और खबरों की प्राथमिकता की।
अब आप ही सोचिये क्या ज्यादा जरुरी था?
1 comment:
भाई जी
सादर वन्दे!
ये आज कि मिडिया जानती कुछ नहीं है, वो जानती है तो बस टी आर पी और इस ग्रन्थ में अध्धयन नाम कि किसी भी शब्द का वर्णन नहीं होता, ये बेवकूफ लोग (माफ़ करें बिना मूल जानकारी के अपने को ही बुद्धिमान मानना मेरे हिसाब से बेवकूफी कही जाती है ) उसी ग्रन्थ के हिसाब से चलते हैं, और देश के चौथे स्तम्भ का बेडा गर्क करते है,
आपके इस जानकारी के लिए धन्यवाद !
रत्नेश त्रिपाठी
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