Friday 26 October, 2007

गुजरात में क्या हुआ? किसी ने कुछ कहा क्या?



चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

जी हां चाहे कितने ही लोगों ने सुना या देखा होगा आज तक- तहलका का वह स्टिंग ऑपरेशन. लेकिन सिर्फ आम लोगों ने ही नहीं मीडिया के दूसरे धरों ने भी इस पर अपनी निगाह रखी. 25 अक्टूबर की देर शाम तक यह कार्यक्रम चैनल पर दिखाया जा रहा था और अगली सुबह अखबारों ने भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया. अंग्रेजी अखबारों द इंडियन एक्सप्रेस और द टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को पहले पन्ने पर लीड स्पेस में जगह दी. जबकि हिंदी अखबारों में इसे सामान्य खबरों की तरह रखा गया. दो अखबारों राष्ट्रीय सहारा और राजस्थान पत्रिका में खबर पहले पन्ने पर छपी जबकि हिन्दुस्तान ने इसे अंदर के पन्ने पर दिखाया.
द टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे पहले पर सबसे ऊपर दो कॉलम की जगह दी है और अंदर के पन्नों पर भी जारी रखा है. अखबार ने स्टिंग ऑपरेशन में दिखाये गये अधिकतर लोगों को तहलका के हवाले से उद्धृत किया है. खबर में भाजपा का बयान भी प्रकाशित किया गया है जिसमें पार्टी ने ऑपरेशन को मोदी को बदनाम करने की साजिश बताया है. अखबार ने खबर में ही स्पष्टीकरण दिया है कि तहलका द्वारा किये गये स्टिंग के तथ्यों को द टाइम्स ऑफ इंडिया ने क्रॉस चेक नहीं किया है.
द इंडियन एक्सप्रेस ने तीन कॉलम में पहले पन्ने के लीड स्पेस से चली इस खबर को दूसरे पन्ने तक जारी रखा है. इसी खबर के साथ एक और खबर भी छपी है जिसमें न्यायमूर्ति नानावती के हवाले से कहा गया है कि नानावती आयोग मामले में संज्ञान ले सकता है. यह खबर मामले पर और ज्यादा फोकस करती है लेकिन इस अखबार में किसी संगठन या पार्टी का पक्ष नहीं रखा गया है.
हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सहारा ने मुख्य पृष्ठ के निचले हिस्से में इस खबर को दो कॉलम की जगह दी है. पत्र ने तहलका के संपादक तरूण तेजपाल के हवाले खबर प्रकाशित की है. स्टिंग ऑपरेशन के तथ्यों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है.
दैनिक हिंदुस्तान ने राष्ट्रीय समाचारों के पन्ने पर प्रकाशित खबर में इस बात को महत्व दिया है कि उच्च न्यायालय की एक वकील मामले की दुबारा सुनवाई के लिए अपील करने वाली है. इस पत्र ने भी खबर के लिए तहलका के संपादक तरूण तेजपाल द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस का हवाला दिया है.
राजस्थान पत्रिका ने पहले पन्ने के सबसे निचले हिस्से में इस खबर को प्रकाशित किया है. पत्रिका ने लिखा है कि "गुजरात में हुए बडे पैमाने पर दंगे और नरसंहार के लिए तहलका ने स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर मोदी सरकार, विहिप और बजरंग दल की संलिप्तता का दावा किया है."
कुल मिलाकर देखा जाए तो इस माले में अधिकतर अखबारों ने सधा हुआ रूख अपनाया है. अधिकतर अखबारों ने तहलका को उद्धृत किया है. स्टिंग ऑपरेशन में जिन पर आरोप लगाया गया है खबरों में उनका पक्ष नहीं के बराबर है. एक बडे जनसमुदाय से जुडे होने के साथ यह मामला अतिसंवेदनशील भी था. इसलिए मामले में विभिन्न पक्षों की राय प्रकाशित की जानी चाहिए थी या यूं कहें कि एक ऐसे बहस का स्वरूप दिया दिया जाना चाहिए था जिसमें आरोपी, आरोप लगाने वाले और तटस्थ पक्ष सभी शामिल हों. इस दिशा अखबार नाकाम मालूम पडते हैं.

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